2 Chronicles 6 (IRVH)

1 तब सुलैमान कहने लगा,“यहोवा ने कहा था, कि मैं घोर अंधकार में वास किए रहूँगा। 2 परन्तु मैंने तेरे लिये एक वासस्थान वरन् ऐसा दृढ़ स्थान बनाया है, जिसमें तू युग-युग रहे।” (भज. 132:13,14) 3 तब राजा ने इस्राएल की पूरी सभा की ओर मुँह फेरकर उसको आशीर्वाद दिया, और इस्राएल की पूरी सभा खड़ी रही। 4 और उसने कहा, “धन्य है इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिसने अपने मुँह से मेरे पिता दाऊद को यह वचन दिया था, और अपने हाथों से इसे पूरा किया है, 5 ‘जिस दिन से मैं अपनी प्रजा को मिस्र देश से निकाल लाया, तब से मैंने न तो इस्राएल के किसी गोत्र का कोई नगर चुना जिसमें मेरे नाम के निवास के लिये भवन बनाया जाए, और न कोई मनुष्य चुना कि वह मेरी प्रजा इस्राएल पर प्रधान हो। 6 परन्तु मैंने यरूशलेम को इसलिए चुना है, कि मेरा नाम वहाँ हो, और दाऊद को चुन लिया है कि वह मेरी प्रजा इस्राएल पर प्रधान हो।’ 7 मेरे पिता दाऊद की यह इच्छा थी कि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम का एक भवन बनवाए। 8 परन्तु यहोवा ने मेरे पिता दाऊद से कहा, ‘तेरी जो इच्छा है कि यहोवा के नाम का एक भवन बनाए, ऐसी इच्छा करके तूने भला तो किया; (1 राजा. 8:18) 9 तो भी तू उस भवन को बनाने न पाएगा: तेरा जो निज पुत्र होगा, वही मेरे नाम का भवन बनाएगा।’ 10 यह वचन जो यहोवा ने कहा था, उसे उसने पूरा भी किया है; और मैं अपने पिता दाऊद के स्थान पर उठकर यहोवा के वचन के अनुसार इस्राएल की गद्दी पर विराजमान हूँ, और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम के इस भवन को बनाया है। (1 राजा. 2:12) 11 इसमें मैंने उस सन्दूक को रख दिया है, जिसमें यहोवा की वह वाचा है, जो उसने इस्राएलियों से बाँधी थी।” 12 तब वह इस्राएल की सारी सभा के देखते यहोवा की वेदी के सामने खड़ा हुआ और अपने हाथ फैलाए। 13 सुलैमान ने पाँच हाथ लम्बी, पाँच हाथ चौड़ी और तीन हाथ ऊँची पीतल की एक चौकी बनाकर आँगन के बीच रखवाई थी; उसी पर खड़े होकर उसने सारे इस्राएल की सभा के सामने घुटने टेककर स्वर्ग की ओर हाथ फैलाए हुए कहा, 14 “हे यहोवा, हे इस्राएल के परमेश्वर, तेरे समान न तो स्वर्ग में और न पृथ्वी पर कोई परमेश्वर है: तेरे जो दास अपने सारे मन से अपने को तेरे सम्मुख जानकर चलते हैं, उनके लिये तू अपनी वाचा पूरी करता और करुणा करता रहता है। 15 तूने जो वचन मेरे पिता दाऊद को दिया था, उसका तूने पालन किया है; जैसा तूने अपने मुँह से कहा था, वैसा ही अपने हाथ से उसको हमारी आँखों के सामने पूरा भी किया है। 16 इसलिए अब हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा, इस वचन को भी पूरा कर, जो तूने अपने दास मेरे पिता दाऊद को दिया था, ‘तेरे कुल में मेरे सामने इस्राएल की गद्दी पर विराजनेवाले सदा बने रहेंगे, यह हो कि जैसे तू अपने को मेरे सम्मुख जानकर चलता रहा, वैसे ही तेरे वंश के लोग अपनी चाल चलन में ऐसी चौकसी करें, कि मेरी व्यवस्था पर चलें।’ 17 अब हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा, जो वचन तूने अपने दास दाऊद को दिया था, वह सच्चा किया जाए। 18 “परन्तु क्या परमेश्वर सचमुच मनुष्यों के संग पृथ्वी पर वास करेगा? स्वर्ग में वरन् सबसे ऊँचे स्वर्ग में भी तू नहीं समाता, फिर मेरे बनाए हुए इस भवन में तू कैसे समाएगा? 19 तो भी हे मेरे परमेश्वर यहोवा, अपने दास की प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट की ओर ध्यान दे और मेरी पुकार और यह प्रार्थना सुन, जो मैं तेरे सामने कर रहा हूँ। 20 वह यह है कि तेरी आँखें इस भवन की ओर, अर्थात् इसी स्थान की ओर जिसके विषय में तूने कहा है कि मैं उसमें अपना नाम रखूँगा, रात-दिन खुली रहें, और जो प्रार्थना तेरा दास इस स्थान की ओर करे, उसे तू सुन ले। 21 और अपने दास, और अपनी प्रजा इस्राएल की प्रार्थना जिसको वे इस स्थान की ओर मुँह किए हुए गिड़गिड़ाकर करें, उसे सुन लेना; स्वर्ग में से जो तेरा निवास-स्थान है, सुन लेना; और सुनकर क्षमा करना। 22 “जब कोई मनुष्य किसी दूसरे के विरुद्ध अपराध करे और उसको शपथ खिलाई जाए, और वह आकर इस भवन में तेरी वेदी के सामने शपथ खाए, 23 तब तू स्वर्ग में से सुनना और मानना, और अपने दासों का न्याय करके दुष्ट को बदला देना, और उसकी चाल उसी के सिर लौटा देना, और निर्दोष को निर्दोष ठहराकर, उसकी धार्मिकता के अनुसार उसको फल देना। 24 “फिर यदि तेरी प्रजा इस्राएल तेरे विरुद्ध पाप करने के कारण अपने शत्रुओं से हार जाए, और तेरी ओर फिरकर तेरा नाम मानें, और इस भवन में तुझ से प्रार्थना करें और गिड़गिड़ाएँ, 25 तो तू स्वर्ग में से सुनना; और अपनी प्रजा इस्राएल का पाप क्षमा करना, और उन्हें इस देश में लौटा ले आना जिसे तूने उनको और उनके पुरखाओं को दिया है। 26 “जब वे तेरे विरुद्ध पाप करें, और इस कारण आकाश इतना बन्द हो जाए कि वर्षा न हो, ऐसे समय यदि वे इस स्थान की ओर प्रार्थना करके तेरे नाम को मानें, और तू जो उन्हें दुःख देता है, इस कारण वे अपने पाप से फिरें, 27 तो तू स्वर्ग में से सुनना, और अपने दासों और अपनी प्रजा इस्राएल के पाप को क्षमा करना; तू जो उनको वह भला मार्ग दिखाता है जिस पर उन्हें चलना चाहिये, इसलिए अपने इस देश पर जिसे तूने अपनी प्रजा का भाग करके दिया है, पानी बरसा देना। 28 “जब इस देश में अकाल या मरी या झुलस हो या गेरुई या टिड्डियाँ या कीड़े लगें, या उनके शत्रु उनके देश के फाटकों में उन्हें घेर रखें, या कोई विपत्ति या रोग हो; 29 तब यदि कोई मनुष्य या तेरी सारी प्रजा इस्राएल जो अपना-अपना दुःख और अपना-अपना खेद जानकर और गिड़गिड़ाहट के साथ प्रार्थना करके अपने हाथ इस भवन की ओर फैलाएँ; 30 तो तू अपने स्वर्गीय निवास-स्थान से सुनकर क्षमा करना, और एक-एक के मन की जानकर उसकी चाल के अनुसार उसे फल देना; (तू ही तो आदमियों के मन का जाननेवाला है); 31 कि वे जितने दिन इस देश में रहें, जिसे तूने उनके पुरखाओं को दिया था, उतने दिन तक तेरा भय मानते हुए तेरे मार्गों पर चलते रहें। 32 “फिर परदेशी भी जो तेरी प्रजा इस्राएल का न हो, जब वह तेरे बड़े नाम और बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा के कारण दूर देश से आए, और आकर इस भवन की ओर मुँह किए हुए प्रार्थना करे, 33 तब तू अपने स्वर्गीय निवास-स्थान में से सुने, और जिस बात के लिये ऐसा परदेशी तुझे पुकारे, उसके अनुसार करना; जिससे पृथ्वी के सब देशों के लोग तेरा नाम जानकर, तेरी प्रजा इस्राएल के समान तेरा भय मानें; और निश्चय करें, कि यह भवन जो मैंने बनाया है, वह तेरा ही कहलाता है। 34 “जब तेरी प्रजा के लोग जहाँ कहीं तू उन्हें भेजे वहाँ अपने शत्रुओं से लड़ाई करने को निकल जाएँ, और इस नगर की ओर जिसे तूने चुना है, और इस भवन की ओर जिसे मैंने तेरे नाम का बनाया है, मुँह किए हुए तुझ से प्रार्थना करें, 35 तब तू स्वर्ग में से उनकी प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट सुनना, और उनका न्याय करना। 36 “निष्पाप तो कोई मनुष्य नहीं है यदि वे भी तेरे विरुद्ध पाप करें और तू उन पर कोप करके उन्हें शत्रुओं के हाथ कर दे, और वे उन्हें बन्दी बनाकर किसी देश को, चाहे वह दूर हो, चाहे निकट, ले जाएँ, 37 तो यदि वे बँधुआई के देश में सोच विचार करें, और फिरकर अपने बन्दी बनानेवालों के देश में तुझ से गिड़गिड़ाकर कहें, ‘हमने पाप किया, और कुटिलता और दुष्टता की है,’ 38 इसलिए यदि वे अपनी बँधुआई के देश में जहाँ वे उन्हें बन्दी बनाकर ले गए हों अपने पूरे मन और सारे जीव से तेरी ओर फिरें, और अपने इस देश की ओर जो तूने उनके पुरखाओं को दिया था, और इस नगर की ओर जिसे तूने चुना है, और इस भवन की ओर जिसे मैंने तेरे नाम का बनाया है, मुँह किए हुए तुझ से प्रार्थना करें, 39 तो तू अपने स्वर्गीय निवास-स्थान में से उनकी प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट सुनना, और उनका न्याय करना और जो पाप तेरी प्रजा के लोग तेरे विरुद्ध करें, उन्हें क्षमा करना। 40 और हे मेरे परमेश्वर! जो प्रार्थना इस स्थान में की जाए उसकी ओर अपनी आँखें खोले रह और अपने कान लगाए रख। 41 “अब हे यहोवा परमेश्वर, उठकर अपने सामर्थ्य के सन्दूक समेत अपने विश्रामस्थान में आहे यहोवा परमेश्वर तेरे याजक उद्धाररूपी वस्त्र पहने रहें,और तेरे भक्त लोग भलाई के कारण आनन्द करते रहें। 42 हे यहोवा परमेश्वर, अपने अभिषिक्त की प्रार्थना को अनसुनी न करतू अपने दास दाऊद पर की गई करुणा के काम स्मरण रख।”

In Other Versions

2 Chronicles 6 in the ANGEFD

2 Chronicles 6 in the ANTPNG2D

2 Chronicles 6 in the AS21

2 Chronicles 6 in the BAGH

2 Chronicles 6 in the BBPNG

2 Chronicles 6 in the BBT1E

2 Chronicles 6 in the BDS

2 Chronicles 6 in the BEV

2 Chronicles 6 in the BHAD

2 Chronicles 6 in the BIB

2 Chronicles 6 in the BLPT

2 Chronicles 6 in the BNT

2 Chronicles 6 in the BNTABOOT

2 Chronicles 6 in the BNTLV

2 Chronicles 6 in the BOATCB

2 Chronicles 6 in the BOATCB2

2 Chronicles 6 in the BOBCV

2 Chronicles 6 in the BOCNT

2 Chronicles 6 in the BOECS

2 Chronicles 6 in the BOGWICC

2 Chronicles 6 in the BOHCB

2 Chronicles 6 in the BOHCV

2 Chronicles 6 in the BOHLNT

2 Chronicles 6 in the BOHNTLTAL

2 Chronicles 6 in the BOICB

2 Chronicles 6 in the BOILNTAP

2 Chronicles 6 in the BOITCV

2 Chronicles 6 in the BOKCV

2 Chronicles 6 in the BOKCV2

2 Chronicles 6 in the BOKHWOG

2 Chronicles 6 in the BOKSSV

2 Chronicles 6 in the BOLCB

2 Chronicles 6 in the BOLCB2

2 Chronicles 6 in the BOMCV

2 Chronicles 6 in the BONAV

2 Chronicles 6 in the BONCB

2 Chronicles 6 in the BONLT

2 Chronicles 6 in the BONUT2

2 Chronicles 6 in the BOPLNT

2 Chronicles 6 in the BOSCB

2 Chronicles 6 in the BOSNC

2 Chronicles 6 in the BOTLNT

2 Chronicles 6 in the BOVCB

2 Chronicles 6 in the BOYCB

2 Chronicles 6 in the BPBB

2 Chronicles 6 in the BPH

2 Chronicles 6 in the BSB

2 Chronicles 6 in the CCB

2 Chronicles 6 in the CUV

2 Chronicles 6 in the CUVS

2 Chronicles 6 in the DBT

2 Chronicles 6 in the DGDNT

2 Chronicles 6 in the DHNT

2 Chronicles 6 in the DNT

2 Chronicles 6 in the ELBE

2 Chronicles 6 in the EMTV

2 Chronicles 6 in the ESV

2 Chronicles 6 in the FBV

2 Chronicles 6 in the FEB

2 Chronicles 6 in the GGMNT

2 Chronicles 6 in the GNT

2 Chronicles 6 in the HARY

2 Chronicles 6 in the HNT

2 Chronicles 6 in the IRVA

2 Chronicles 6 in the IRVB

2 Chronicles 6 in the IRVG

2 Chronicles 6 in the IRVK

2 Chronicles 6 in the IRVM

2 Chronicles 6 in the IRVM2

2 Chronicles 6 in the IRVO

2 Chronicles 6 in the IRVP

2 Chronicles 6 in the IRVT

2 Chronicles 6 in the IRVT2

2 Chronicles 6 in the IRVU

2 Chronicles 6 in the ISVN

2 Chronicles 6 in the JSNT

2 Chronicles 6 in the KAPI

2 Chronicles 6 in the KBT1ETNIK

2 Chronicles 6 in the KBV

2 Chronicles 6 in the KJV

2 Chronicles 6 in the KNFD

2 Chronicles 6 in the LBA

2 Chronicles 6 in the LBLA

2 Chronicles 6 in the LNT

2 Chronicles 6 in the LSV

2 Chronicles 6 in the MAAL

2 Chronicles 6 in the MBV

2 Chronicles 6 in the MBV2

2 Chronicles 6 in the MHNT

2 Chronicles 6 in the MKNFD

2 Chronicles 6 in the MNG

2 Chronicles 6 in the MNT

2 Chronicles 6 in the MNT2

2 Chronicles 6 in the MRS1T

2 Chronicles 6 in the NAA

2 Chronicles 6 in the NASB

2 Chronicles 6 in the NBLA

2 Chronicles 6 in the NBS

2 Chronicles 6 in the NBVTP

2 Chronicles 6 in the NET2

2 Chronicles 6 in the NIV11

2 Chronicles 6 in the NNT

2 Chronicles 6 in the NNT2

2 Chronicles 6 in the NNT3

2 Chronicles 6 in the PDDPT

2 Chronicles 6 in the PFNT

2 Chronicles 6 in the RMNT

2 Chronicles 6 in the SBIAS

2 Chronicles 6 in the SBIBS

2 Chronicles 6 in the SBIBS2

2 Chronicles 6 in the SBICS

2 Chronicles 6 in the SBIDS

2 Chronicles 6 in the SBIGS

2 Chronicles 6 in the SBIHS

2 Chronicles 6 in the SBIIS

2 Chronicles 6 in the SBIIS2

2 Chronicles 6 in the SBIIS3

2 Chronicles 6 in the SBIKS

2 Chronicles 6 in the SBIKS2

2 Chronicles 6 in the SBIMS

2 Chronicles 6 in the SBIOS

2 Chronicles 6 in the SBIPS

2 Chronicles 6 in the SBISS

2 Chronicles 6 in the SBITS

2 Chronicles 6 in the SBITS2

2 Chronicles 6 in the SBITS3

2 Chronicles 6 in the SBITS4

2 Chronicles 6 in the SBIUS

2 Chronicles 6 in the SBIVS

2 Chronicles 6 in the SBT

2 Chronicles 6 in the SBT1E

2 Chronicles 6 in the SCHL

2 Chronicles 6 in the SNT

2 Chronicles 6 in the SUSU

2 Chronicles 6 in the SUSU2

2 Chronicles 6 in the SYNO

2 Chronicles 6 in the TBIAOTANT

2 Chronicles 6 in the TBT1E

2 Chronicles 6 in the TBT1E2

2 Chronicles 6 in the TFTIP

2 Chronicles 6 in the TFTU

2 Chronicles 6 in the TGNTATF3T

2 Chronicles 6 in the THAI

2 Chronicles 6 in the TNFD

2 Chronicles 6 in the TNT

2 Chronicles 6 in the TNTIK

2 Chronicles 6 in the TNTIL

2 Chronicles 6 in the TNTIN

2 Chronicles 6 in the TNTIP

2 Chronicles 6 in the TNTIZ

2 Chronicles 6 in the TOMA

2 Chronicles 6 in the TTENT

2 Chronicles 6 in the UBG

2 Chronicles 6 in the UGV

2 Chronicles 6 in the UGV2

2 Chronicles 6 in the UGV3

2 Chronicles 6 in the VBL

2 Chronicles 6 in the VDCC

2 Chronicles 6 in the YALU

2 Chronicles 6 in the YAPE

2 Chronicles 6 in the YBVTP

2 Chronicles 6 in the ZBP