Psalms 146 (IRVU)
1 ख़ुदावन्द की हम्द करो ऐ मेरी जान,ख़ुदावन्द की हम्द कर! 2 मैं उम्र भर ख़ुदावन्द की हम्द करूँगा,जब तक मेरा वुजूद है मैं अपने ख़ुदा की मदहसराई करूँगा। 3 न उमरा पर भरोसा करो न आदमज़ाद पर,वह बचा नहीं सकता। 4 उसका दम निकल जाता है तो वह मिट्टी में मिल जाता है;उसी दिन उसके मन्सूबे फ़ना हो जाते हैं। 5 खु़श नसीब है वह, जिसका मददगार या'क़ूब का ख़ुदा है,और जिसकी उम्मीद ख़ुदावन्द उसके ख़ुदा से है। 6 जिसने आसमान और ज़मीन और समन्दर को,और जो कुछ उनमें है बनाया;जो सच्चाई को हमेशा क़ाईम रखता है। 7 जो मज़लूमों का इन्साफ़ करता है;जो भूकों को खाना देता है।ख़ुदावन्द कैदियों को आज़ाद करता है; 8 ख़ुदावन्द अन्धों की आँखें खोलता है;ख़ुदावन्द झुके हुए को उठा खड़ा करता है;ख़ुदावन्द सादिक़ों से मुहब्बत रखता है। 9 ख़ुदावन्द परदेसियों की हिफ़ाज़त करता है;वह यतीम और बेवा को संभालता है;लेकिन शरीरों की राह टेढ़ी कर देता है। 10 ख़ुदावन्द, हमेशा तक सल्तनत करेगा,ऐ सिय्यून! तेरा ख़ुदा नसल दर नसल।ख़ुदावन्द की हम्द करो!