Psalms 62 (IRVU)
1 मेरी जान को ख़ुदा ही की उम्मीद है,मेरी नजात उसी से है। 2 वही अकेला मेरी चट्टान और मेरी नजात है,वही मेरा ऊँचा बुर्ज है, मुझे ज़्यादा जुम्बिश न होगी। 3 तुम कब तक ऐसे शख़्स पर हमला करते रहोगे,जो झुकी हुई दीवार और हिलती बाड़ की तरह है;ताकि सब मिलकर उसे क़त्ल करो? 4 वह उसको उसके मर्तबे से गिरा देने ही का मश्वरा करते रहते हैं;वह झूट से ख़ुश होते हैं।वह अपने मुँह से तो बरकत देते हैं लेकिन दिल में ला'नत करते हैं। 5 ऐ मेरी जान, ख़ुदा ही की आस रख,क्यूँकि उसी से मुझे उम्मीद है। 6 वही अकेला मेरी चट्टान और मेरी नजात है;वही मेरा ऊँचा बुर्ज है, मुझे जुम्बिश न होगी। 7 मेरी नजात और मेरी शौकत ख़ुदा की तरफ़ से है;ख़ुदा ही मेरी ताक़त की चट्टान और मेरी पनाह है। 8 ऐ लोगो। हर वक़्त उस पर भरोसा करो;अपने दिल का हाल उसके सामने खोल दो।ख़ुदा हमारी पनाहगाह है। सिलाह 9 यक़ीनन अदना लोग बेसबात हैंऔर आला आदमी झूटे; वह तराजू़ में हल्के निकलेंगे;वह सब के सब बेसबाती से भी कमज़ोर हैं 10 जु़ल्म पर तकिया न करो,लूटमार करने पर न फूलो;अगर माल बढ़ जाए तो उस पर दिल न लगाओ। 11 ख़ुदा ने एक बार फ़रमाया;मैंने यह दो बार सुना,कि कु़दरत ख़ुदा ही की है। 12 शफ़क़त भी ऐ ख़ुदावन्द तेरी ही है;क्यूँकि तू हर शख़्स को उसके 'अमल के मुताबिक़ बदला देता है।