Psalms 43 (IRVU)
1 ऐ ख़ुदा, मेरा इन्साफ़ करऔर बेदीन क़ौम के मुक़ाबले में मेरी वकालत कर,और दग़ाबाज़ और बेइन्साफ़ आदमी से मुझे छुड़ा। 2 क्यूँकि तू ही मेरी ताक़त का ख़ुदा है,तूने क्यूँ मुझे छोड़ दिया?मैं दुश्मन के ज़ुल्म की वजह से क्यूँ मातम करता फिरता हूँ? 3 अपने नूर, अपनी सच्चाई को भेज,वही मेरी रहबरी करें,वही मुझ को तेरे पाक पहाड़ और तेरे घर तक पहुँचाए। 4 तब मैं ख़ुदा के मज़बह के पास जाऊँगा,ख़ुदा के सामने जो मेरी कमाल ख़ुशी है;ऐ ख़ुदा! मेरे ख़ुदा! मैं सितार बजा कर तेरी सिताइश करूँगा। 5 ऐ मेरी जान! तू क्यूँ गिरी जाती है?तू अन्दर ही अन्दर क्यूँ बेचैन है?ख़ुदा से उम्मीद रख, क्यूँकि वह मेरे चेहरे की रौनक़ और मेरा ख़ुदा है;मैं फिर उसकी सिताइश करूँगा।