Psalms 12 (IRVU)
1 ऐ ख़ुदावन्द! बचा ले क्यूँकि कोई दीनदार नहीं रहाऔर अमानत दार लोग बनी आदम में से मिट गये। 2 वह अपने अपने पड़ोसी से झूठ बोलते हैंवह ख़ुशामदी लबों से दो रंगी बातें करते हैं 3 ख़ुदावन्द सब ख़ुशामदी लबों कोऔर बड़े बोल बोलने वाली ज़बान को काट डालेगा। 4 वह कहते हैं, “हम अपनी ज़बान से जीतेंगे,हमारे होंट हमारे ही हैं; हमारा मालिक कौन है?” 5 ग़रीबों की तबाही और ग़रीबों कीआह की वजह से,ख़ुदावन्द फ़रमाता है, कि अब मैं उठूँगाऔर जिस पर वह फुंकारते हैं उसे अम्न — ओ — अमान में रख्खूँगा। 6 ख़ुदावन्द का कलाम पाक है,उस चाँदी की तरह जो भट्टी में मिट्टी पर ताई गई,और सात बार साफ़ की गई हो। 7 तू ही ऐ ख़ुदावन्द उनकी हिफ़ाज़त करेगा,तू ही उनको इस नसल से हमेशा तक बचाए रखेगा। 8 जब बनी आदम में पाजीपन की क़द्र होती है,तो शरीर हर तरफ़ चलते फिरते हैं।