Psalms 100 (BOHCV)
undefined एक स्तोत्र. धन्यवाद के लिए गीत 1 याहवेह के स्तवन में समस्त पृथ्वी उच्च स्वर में जयघोष करे. 2 याहवेह की आराधना आनंदपूर्वक की जाए;हर्ष गीत गाते हुए उनकी उपस्थिति में प्रवेश किया जाए. 3 यह समझ लो कि स्वयं याहवेह ही परमेश्वर हैं.हमारी रचना उन्हीं ने की है, स्वयं हमने नहीं; हम पर उन्हीं का स्वामित्व है.हम उनकी प्रजा, उनकी चराई की भेड़ें हैं. 4 धन्यवाद के भाव में उनके द्वारों मेंऔर स्तवन भाव में उनके आंगनों में प्रवेश करो;उनकी महिमा को धन्य कहो. 5 याहवेह भले हैं; उनकी करुणा सदा की है;उनकी सच्चाई का प्रसरण समस्त पीढ़ियों में होता जाता है.