Psalms 119 (IRVH)
1 क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं,और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं! 2 क्या ही धन्य हैं वे जो उसकी चितौनियों को मानते हैं,और पूर्ण मन से उसके पास आते हैं! 3 फिर वे कुटिलता का काम नहीं करते,वे उसके मार्गों में चलते हैं। 4 तूने अपने उपदेश इसलिए दिए हैंकि हम उसे यत्न से माने। 5 भला होता कितेरी विधियों को मानने के लिये मेरी चाल चलन दृढ़ हो जाए! 6 तब मैं तेरी सब आज्ञाओं की ओर चित्त लगाए रहूँगा,और मैं लज्जित न होऊँगा। 7 जब मैं तेरे धर्ममय नियमों को सीखूँगा,तब तेरा धन्यवाद सीधे मन से करूँगा। 8 मैं तेरी विधियों को मानूँगा:मुझे पूरी रीति से न तज! 9 जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे?तेरे वचन का पालन करने से। 10 मैं पूरे मन से तेरी खोज में लगा हूँ;मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे! 11 मैंने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है,कि तेरे विरुद्ध पाप न करूँ। 12 हे यहोवा, तू धन्य है;मुझे अपनी विधियाँ सिखा! 13 तेरे सब कहे हुए नियमों का वर्णन,मैंने अपने मुँह से किया है। 14 मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से,मानो सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूँ। 15 मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूँगा,और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूँगा। 16 मैं तेरी विधियों से सुख पाऊँगा;और तेरे वचन को न भूलूँगा। 17 अपने दास का उपकार कर कि मैं जीवित रहूँ,और तेरे वचन पर चलता रहूँ 18 मेरी आँखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था कीअद्भुत बातें देख सकूँ। 19 मैं तो पृथ्वी पर परदेशी हूँ;अपनी आज्ञाओं को मुझसे छिपाए न रख! 20 मेरा मन तेरे नियमों की अभिलाषा के कारणहर समय खेदित रहता है। 21 तूने अभिमानियों को, जो श्रापित हैं, घुड़का है,वे तेरी आज्ञाओं से भटके हुए हैं। 22 मेरी नामधराई और अपमान दूर कर,क्योंकि मैं तेरी चितौनियों को पकड़े हूँ। 23 हाकिम भी बैठे हुए आपस में मेरे विरुद्ध बातें करते थे,परन्तु तेरा दास तेरी विधियों पर ध्यान करता रहा। 24 तेरी चितौनियाँ मेरा सुखमूलऔर मेरे मंत्री हैं। 25 मैं धूल में पड़ा हूँ;तू अपने वचन के अनुसार मुझ को जिला! 26 मैंने अपनी चाल चलन का तुझ से वर्णन किया है और तूने मेरी बात मान ली है;तू मुझ को अपनी विधियाँ सिखा! 27 अपने उपदेशों का मार्ग मुझे समझा,तब मैं तेरे आश्चर्यकर्मों पर ध्यान करूँगा। 28 मेरा जीव उदासी के मारे गल चला है;तू अपने वचन के अनुसार मुझे सम्भाल! 29 मुझ को झूठ के मार्ग से दूर कर;और कृपा करके अपनी व्यवस्था मुझे दे। 30 मैंने सच्चाई का मार्ग चुन लिया है,तेरे नियमों की ओर मैं चित्त लगाए रहता हूँ। 31 मैं तेरी चितौनियों में लौलीन हूँ,हे यहोवा, मुझे लज्जित न होने दे! 32 जब तू मेरा हियाव बढ़ाएगा,तब मैं तेरी आज्ञाओं के मार्ग में दौड़ूँगा। 33 हे यहोवा, मुझे अपनी विधियों का मार्ग सिखा दे;तब मैं उसे अन्त तक पकड़े रहूँगा। 34 मुझे समझ दे, तब मैं तेरी व्यवस्था को पकड़े रहूँगाऔर पूर्ण मन से उस पर चलूँगा। 35 अपनी आज्ञाओं के पथ में मुझ को चला,क्योंकि मैं उसी से प्रसन्न हूँ। 36 मेरे मन को लोभ की ओर नहीं,अपनी चितौनियों ही की ओर फेर दे। 37 मेरी आँखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर देतू अपने मार्ग में मुझे जिला। 38 तेरा वादा जो तेरे भय माननेवालों के लिये है,उसको अपने दास के निमित्त भी पूरा कर। 39 जिस नामधराई से मैं डरता हूँ, उसे दूर कर;क्योंकि तेरे नियम उत्तम हैं। 40 देख, मैं तेरे उपदेशों का अभिलाषी हूँ;अपने धर्म के कारण मुझ को जिला। 41 हे यहोवा, तेरी करुणा और तेरा किया हुआ उद्धार,तेरे वादे के अनुसार, मुझ को भी मिले; 42 तब मैं अपनी नामधराई करनेवालों को कुछ उत्तर दे सकूँगा,क्योंकि मेरा भरोसा, तेरे वचन पर है। 43 मुझे अपने सत्य वचन कहने से न रोकक्योंकि मेरी आशा तेरे नियमों पर है। 44 तब मैं तेरी व्यवस्था पर लगातार,सदा सर्वदा चलता रहूँगा; 45 और मैं चौड़े स्थान में चला फिरा करूँगा,क्योंकि मैंने तेरे उपदेशों की सुधि रखी है। 46 और मैं तेरी चितौनियों की चर्चा राजाओं के सामने भी करूँगा,और लज्जित न होऊँगा; (रोम. 1:16) 47 क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं के कारण सुखी हूँ,और मैं उनसे प्रीति रखता हूँ। 48 मैं तेरी आज्ञाओं की ओर जिनमें मैं प्रीति रखता हूँ, हाथ फैलाऊँगाऔर तेरी विधियों पर ध्यान करूँगा। 49 जो वादा तूने अपने दास को दिया है, उसे स्मरण कर,क्योंकि तूने मुझे आशा दी है। 50 मेरे दुःख में मुझे शान्ति उसी से हुई है,क्योंकि तेरे वचन के द्वारा मैंने जीवन पाया है। 51 अहंकारियों ने मुझे अत्यन्त ठट्ठे में उड़ाया है,तो भी मैं तेरी व्यवस्था से नहीं हटा। 52 हे यहोवा, मैंने तेरे प्राचीन नियमों को स्मरण करकेशान्ति पाई है। 53 जो दुष्ट तेरी व्यवस्था को छोड़े हुए हैं,उनके कारण मैं क्रोध से जलता हूँ। 54 जहाँ मैं परदेशी होकर रहता हूँ, वहाँ तेरी विधियाँ,मेरे गीत गाने का विषय बनी हैं। 55 हे यहोवा, मैंने रात को तेरा नाम स्मरण किया,और तेरी व्यवस्था पर चला हूँ। 56 यह मुझसे इस कारण हुआ,कि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए था। 57 यहोवा मेरा भाग है;मैंने तेरे वचनों के अनुसार चलने का निश्चय किया है। 58 मैंने पूरे मन से तुझे मनाया है;इसलिए अपने वादे के अनुसार मुझ पर दया कर। 59 मैंने अपनी चाल चलन को सोचा,और तेरी चितौनियों का मार्ग लिया। 60 मैंने तेरी आज्ञाओं के मानने में विलम्ब नहीं, फुर्ती की है। 61 मैं दुष्टों की रस्सियों से बन्ध गया हूँ,तो भी मैं तेरी व्यवस्था को नहीं भूला। 62 तेरे धर्ममय नियमों के कारणमैं आधी रात को तेरा धन्यवाद करने को उठूँगा। 63 जितने तेरा भय मानते और तेरे उपदेशों पर चलते हैं,उनका मैं संगी हूँ। 64 हे यहोवा, तेरी करुणा पृथ्वी में भरी हुई है;तू मुझे अपनी विधियाँ सिखा! 65 हे यहोवा, तूने अपने वचन के अनुसारअपने दास के संग भलाई की है। 66 मुझे भली विवेक-शक्ति और समझ दे,क्योंकि मैंने तेरी आज्ञाओं का विश्वास किया है। 67 उससे पहले कि मैं दुःखित हुआ, मैं भटकता था; परन्तु अब मैं तेरे वचन को मानता हूँ 68 तू भला है, और भला करता भी है;मुझे अपनी विधियाँ सिखा। 69 अभिमानियों ने तो मेरे विरुद्ध झूठ बात गढ़ी है,परन्तु मैं तेरे उपदेशों को पूरे मन से पकड़े रहूँगा। 70 उनका मन मोटा हो गया है,परन्तु मैं तेरी व्यवस्था के कारण सुखी हूँ। 71 मुझे जो दुःख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है,जिससे मैं तेरी विधियों को सीख सकूँ। 72 तेरी दी हुई व्यवस्था मेरे लियेहजारों रुपयों और मुहरों से भी उत्तम है। 73 तेरे हाथों से मैं बनाया और रचा गया हूँ;मुझे समझ दे कि मैं तेरी आज्ञाओं को सीखूँ। 74 तेरे डरवैये मुझे देखकर आनन्दित होंगे,क्योंकि मैंने तेरे वचन पर आशा लगाई है। 75 हे यहोवा, मैं जान गया कि तेरे नियम धर्ममय हैं,और तूने अपने सच्चाई के अनुसार मुझे दुःख दिया है। 76 मुझे अपनी करुणा से शान्ति दे,क्योंकि तूने अपने दास को ऐसा ही वादा दिया है। 77 तेरी दया मुझ पर हो, तब मैं जीवित रहूँगा;क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी हूँ। 78 अहंकारी लज्जित किए जाए, क्योंकि उन्होंने मुझे झूठ के द्वारा गिरा दिया है;परन्तु मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूँगा। 79 जो तेरा भय मानते हैं, वह मेरी ओर फिरें,तब वे तेरी चितौनियों को समझ लेंगे। 80 मेरा मन तेरी विधियों के मानने में सिद्ध हो,ऐसा न हो कि मुझे लज्जित होना पड़े। 81 मेरा प्राण तेरे उद्धार के लिये बैचेन है;परन्तु मुझे तेरे वचन पर आशा रहती है। 82 मेरी आँखें तेरे वादे के पूरे होने की बाट जोहते-जोहते धुंधली पड़ गईं है;और मैं कहता हूँ कि तू मुझे कब शान्ति देगा? 83 क्योंकि मैं धुएँ में की कुप्पी के समान हो गया हूँ,तो भी तेरी विधियों को नहीं भूला। 84 तेरे दास के कितने दिन रह गए हैं?तू मेरे पीछे पड़े हुओं को दण्ड कब देगा? 85 अहंकारी जो तेरी व्यवस्था के अनुसार नहीं चलते,उन्होंने मेरे लिये गड्ढे खोदे हैं। 86 तेरी सब आज्ञाएँ विश्वासयोग्य हैं;वे लोग झूठ बोलते हुए मेरे पीछे पड़े हैं;तू मेरी सहायता कर! 87 वे मुझ को पृथ्वी पर से मिटा डालने ही पर थे,परन्तु मैंने तेरे उपदेशों को नहीं छोड़ा। 88 अपनी करुणा के अनुसार मुझ को जिला,तब मैं तेरी दी हुई चितौनी को मानूँगा। 89 हे यहोवा, तेरा वचन,आकाश में सदा तक स्थिर रहता है। 90 तेरी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है;तूने पृथ्वी को स्थिर किया, इसलिए वह बनी है। 91 वे आज के दिन तक तेरे नियमों के अनुसार ठहरे हैं;क्योंकि सारी सृष्टि तेरे अधीन है। 92 यदि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी न होता,तो मैं दुःख के समय नाश हो जाता 93 मैं तेरे उपदेशों को कभी न भूलूँगा;क्योंकि उन्हीं के द्वारा तूने मुझे जिलाया है। 94 मैं तेरा ही हूँ, तू मेरा उद्धार कर;क्योंकि मैं तेरे उपदेशों की सुधि रखता हूँ। 95 दुष्ट मेरा नाश करने के लिये मेरी घात में लगे हैं;परन्तु मैं तेरी चितौनियों पर ध्यान करता हूँ। 96 मैंने देखा है कि प्रत्येक पूर्णता की सीमा होती है,परन्तु तेरी आज्ञा का विस्तार बड़ा और सीमा से परे है। 97 आहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूँ!दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है। 98 तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है,क्योंकि वे सदा मेरे मन में रहती हैं। 99 मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूँ,क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है। 100 मैं पुरनियों से भी समझदार हूँ,क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूँ। 101 मैंने अपने पाँवों को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा है,जिससे मैं तेरे वचन के अनुसार चलूँ। 102 मैं तेरे नियमों से नहीं हटा,क्योंकि तू ही ने मुझे शिक्षा दी है। 103 तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं,वे मेरे मुँह में मधु से भी मीठे हैं! 104 तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूँ,इसलिए मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूँ। 105 तेरा वचन मेरे पाँव के लिये दीपक,और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है। 106 मैंने शपथ खाई, और ठान लिया हैकि मैं तेरे धर्ममय नियमों के अनुसार चलूँगा। 107 मैं अत्यन्त दुःख में पड़ा हूँ;हे यहोवा, अपने वादे के अनुसार मुझे जिला। 108 हे यहोवा, मेरे वचनों को स्वेच्छाबलि जानकर ग्रहण कर,और अपने नियमों को मुझे सिखा। 109 मेरा प्राण निरन्तर मेरी हथेली पर रहता हैतो भी मैं तेरी व्यवस्था को भूल नहीं गया। 110 दुष्टों ने मेरे लिये फंदा लगाया है,परन्तु मैं तेरे उपदेशों के मार्ग से नहीं भटका। 111 मैंने तेरी चितौनियों को सदा के लिये अपना निज भागकर लिया है,क्योंकि वे मेरे हृदय के हर्ष का कारण है। 112 मैंने अपने मन को इस बात पर लगाया है,कि अन्त तक तेरी विधियों पर सदा चलता रहूँ। 113 मैं दुचित्तों से तो बैर रखता हूँ,परन्तु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूँ। 114 तू मेरी आड़ और ढाल है;मेरी आशा तेरे वचन पर है। 115 हे कुकर्मियों, मुझसे दूर हो जाओ,कि मैं अपने परमेश्वर की आज्ञाओं को पकड़े रहूँ! 116 हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे सम्भाल, कि मैं जीवित रहूँ,और मेरी आशा को न तोड़! 117 मुझे थामे रख, तब मैं बचा रहूँगा,और निरन्तर तेरी विधियों की ओर चित्त लगाए रहूँगा! 118 जितने तेरी विधियों के मार्ग से भटक जाते हैं,उन सब को तू तुच्छ जानता है,क्योंकि उनकी चतुराई झूठ है। 119 तूने पृथ्वी के सब दुष्टों को धातु के मैल के समान दूर किया है;इस कारण मैं तेरी चितौनियों से प्रीति रखता हूँ। 120 तेरे भय से मेरा शरीर काँप उठता है,और मैं तेरे नियमों से डरता हूँ। 121 मैंने तो न्याय और धर्म का काम किया है;तू मुझे अत्याचार करनेवालों के हाथ में न छोड़। 122 अपने दास की भलाई के लिये जामिन हो,ताकि अहंकारी मुझ पर अत्याचार न करने पाएँ। 123 मेरी आँखें तुझ से उद्धार पाने,और तेरे धर्ममय वचन के पूरे होने की बाट जोहते-जोहते धुँधली पड़ गई हैं। 124 अपने दास के संग अपनी करुणा के अनुसार बर्ताव कर,और अपनी विधियाँ मुझे सिखा। 125 मैं तेरा दास हूँ, तू मुझे समझ देकि मैं तेरी चितौनियों को समझूँ। 126 वह समय आया है, कि यहोवा काम करे,क्योंकि लोगों ने तेरी व्यवस्था को तोड़ दिया है। 127 इस कारण मैं तेरी आज्ञाओं को सोने से वरन् कुन्दन से भी अधिक प्रिय मानता हूँ। 128 इसी कारण मैं तेरे सब उपदेशों को सब विषयों में ठीक जानता हूँ;और सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूँ। 129 तेरी चितौनियाँ अद्भुत हैं,इस कारण मैं उन्हें अपने जी से पकड़े हुए हूँ। 130 तेरी बातों के खुलने से प्रकाश होता हैउससे निर्बुद्धि लोग समझ प्राप्त करते हैं। 131 मैं मुँह खोलकर हाँफने लगा,क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं का प्यासा था। 132 जैसी तेरी रीति अपने नाम के प्रीति रखनेवालों से है,वैसे ही मेरी ओर भी फिरकर मुझ पर दया कर। 133 मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर,और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे। 134 मुझे मनुष्यों के अत्याचार से छुड़ा ले,तब मैं तेरे उपदेशों को मानूँगा। 135 अपने दास पर अपने मुख का प्रकाश चमका दे,और अपनी विधियाँ मुझे सिखा। 136 मेरी आँखों से आँसुओं की धारा बहती रहती है,क्योंकि लोग तेरी व्यवस्था को नहीं मानते। 137 हे यहोवा तू धर्मी है,और तेरे नियम सीधे हैं। (भज. 145:17) 138 तूने अपनी चितौनियों कोधर्म और पूरी सत्यता से कहा है। 139 मैं तेरी धुन में भस्म हो रहा हूँ,क्योंकि मेरे सतानेवाले तेरे वचनों को भूल गए हैं। 140 तेरा वचन पूरी रीति से ताया हुआ है,इसलिए तेरा दास उसमें प्रीति रखता है। 141 मैं छोटा और तुच्छ हूँ,तो भी मैं तेरे उपदेशों को नहीं भूलता। 142 तेरा धर्म सदा का धर्म है,और तेरी व्यवस्था सत्य है। 143 मैं संकट और सकेती में फँसा हूँ,परन्तु मैं तेरी आज्ञाओं से सुखी हूँ। 144 तेरी चितौनियाँ सदा धर्ममय हैं;तू मुझ को समझ दे कि मैं जीवित रहूँ। 145 मैंने सारे मन से प्रार्थना की है,हे यहोवा मेरी सुन!मैं तेरी विधियों को पकड़े रहूँगा। 146 मैंने तुझ से प्रार्थना की है, तू मेरा उद्धार कर,और मैं तेरी चितौनियों को माना करूँगा। 147 मैंने पौ फटने से पहले दुहाई दी;मेरी आशा तेरे वचनों पर थी। 148 मेरी आँखें रात के एक-एक पहर से पहले खुल गईं,कि मैं तेरे वचन पर ध्यान करूँ। 149 अपनी करुणा के अनुसार मेरी सुन ले;हे यहोवा, अपनी नियमों के रीति अनुसार मुझे जीवित कर। 150 जो दुष्टता की धुन में हैं, वे निकट आ गए हैं;वे तेरी व्यवस्था से दूर हैं। 151 हे यहोवा, तू निकट है,और तेरी सब आज्ञाएँ सत्य हैं। 152 बहुत काल से मैं तेरी चितौनियों को जानता हूँ,कि तूने उनकी नींव सदा के लिये डाली है। 153 मेरे दुःख को देखकर मुझे छुड़ा ले,क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था को भूल नहीं गया। 154 मेरा मुकद्दमा लड़, और मुझे छुड़ा ले;अपने वादे के अनुसार मुझ को जिला। 155 दुष्टों को उद्धार मिलना कठिन है,क्योंकि वे तेरी विधियों की सुधि नहीं रखते। 156 हे यहोवा, तेरी दया तो बड़ी है;इसलिए अपने नियमों के अनुसार मुझे जिला। 157 मेरा पीछा करनेवाले और मेरे सतानेवाले बहुत हैं,परन्तु मैं तेरी चितौनियों से नहीं हटता। 158 मैं विश्वासघातियों को देखकर घृणा करता हूँ;क्योंकि वे तेरे वचन को नहीं मानते। 159 देख, मैं तेरे उपदेशों से कैसी प्रीति रखता हूँ!हे यहोवा, अपनी करुणा के अनुसार मुझ को जिला। 160 तेरा सारा वचन सत्य ही है;और तेरा एक-एक धर्ममय नियम सदाकाल तक अटल है। 161 हाकिम व्यर्थ मेरे पीछे पड़े हैं,परन्तु मेरा हृदय तेरे वचनों का भय मानता है(भज. 119:23) 162 जैसे कोई बड़ी लूट पाकर हर्षित होता है,वैसे ही मैं तेरे वचन के कारण हर्षित हूँ। 163 झूठ से तो मैं बैर और घृणा रखता हूँ,परन्तु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूँ। 164 तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं प्रतिदिनसात बार तेरी स्तुति करता हूँ। 165 तेरी व्यवस्था से प्रीति रखनेवालों को बड़ी शान्ति होती है;और उनको कुछ ठोकर नहीं लगती। 166 हे यहोवा, मैं तुझ से उद्धार पाने की आशा रखता हूँ;और तेरी आज्ञाओं पर चलता आया हूँ। 167 मैं तेरी चितौनियों को जी से मानता हूँ,और उनसे बहुत प्रीति रखता आया हूँ। 168 मैं तेरे उपदेशों और चितौनियों को मानता आया हूँ,क्योंकि मेरी सारी चाल चलन तेरे सम्मुख प्रगट है। 169 हे यहोवा, मेरी दुहाई तुझ तक पहुँचे;तू अपने वचन के अनुसार मुझे समझ दे! 170 मेरा गिड़गिड़ाना तुझ तक पहुँचे;तू अपने वचन के अनुसार मुझे छुड़ा ले। 171 मेरे मुँह से स्तुति निकला करे,क्योंकि तू मुझे अपनी विधियाँ सिखाता है। 172 मैं तेरे वचन का गीत गाऊँगा,क्योंकि तेरी सब आज्ञाएँ धर्ममय हैं। 173 तेरा हाथ मेरी सहायता करने को तैयार रहता है,क्योंकि मैंने तेरे उपदेशों को अपनाया है। 174 हे यहोवा, मैं तुझ से उद्धार पाने की अभिलाषा करता हूँ,मैं तेरी व्यवस्था से सुखी हूँ। 175 मुझे जिला, और मैं तेरी स्तुति करूँगा,तेरे नियमों से मेरी सहायता हो। 176 मैं खोई हुई भेड़ के समान भटका हूँ;तू अपने दास को ढूँढ़ ले,क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं को भूल नहीं गया।