Psalms 1 (IRVU)
1 मुबारक है वह आदमी जो शरीरों की सलाह पर नहीं चलता,और ख़ताकारों की राह में खड़ा नहीं होता;और ठट्ठा बाज़ों की महफ़िल में नहीं बैठता। 2 बल्कि ख़ुदावन्द की शरी'अत में ही उसकी ख़ुशी है;और उसी की शरी'अत पर दिन रात उसका ध्यान रहता है। 3 वह उस दरख़्त की तरह होगा, जो पानी की नदियों के पास लगाया गया है।जो अपने वक़्त पर फलता है, और जिसका पत्ता भी नहीं मुरझाता।इसलिए जो कुछ वह करे फलदार होगा। 4 शरीर ऐसे नहीं, बल्कि वह भूसे की तरह हैं,जिसे हवा उड़ा ले जाती है। 5 इसलिए शरीर 'अदालत में क़ाईम न रहेंगे,न ख़ताकार सादिक़ों की जमा'अत में। 6 क्यूँकि ख़ुदावन्द सादिक़ो की राह जानता हैलेकिन शरीरों की राह बर्बाद हो जाएगी।