Psalms 101 (BOHCV)
undefined दावीद की रचना. एक स्तोत्र. 1 मेरे गीत का विषय है आपका करुणा-प्रेम तथा आपका न्याय;याहवेह, मैं आपका स्तवन करूंगा. 2 निष्कलंक जीवन मेरा लक्ष्य है,आप कब मेरे पास आएंगे? अपने आवास में मेरा आचरणनिष्कलंक रहेगा. 3 मैं किसी भी अनुचित वस्तु कीओर दृष्टि न उठाऊंगा. मुझे घृणा है भ्रष्टाचारी पुरुषों के आचार-व्यवहार से;मैं उनसे कोई संबंध नहीं रखूंगा. 4 कुटिल हृदय मुझसे दूर रहेगा;बुराई से मेरा कोई संबंध न होगा. 5 जो कोई गुप्त में अपने पड़ोसी की निंदा करता है,मैं उसे नष्ट कर दूंगा;जिस किसी की आंखें अहंकार से चढ़ी हुई हैं तथा जिसका हृदय घमंडी है,वह मेरे लिए असह्य होगा. 6 पृथ्वी पर मेरी दृष्टि उन्हीं पर रहेगी जो विश्वासयोग्य हैं,कि वे मेरे साथ निवास कर सकें;मेरा सेवक वही होगा,जिसका आचरण निष्कलंक है. 7 किसी भी झूठों का निवासमेरे आवास में न होगा,कोई भी झूठ बोलने वाला,मेरी उपस्थिति में ठहर न सकेगा. 8 प्रति प्रभात मैं अपने राज्य केसमस्त दुर्जनों को नष्ट करूंगा;याहवेह के नगर में सेमैं हर एक दुष्ट को मिटा दूंगा.