Psalms 101 (IRVU)
1 मैं शफ़क़त और 'अदल का हम्द गाऊँगा;ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरी मदह सराई करूँगा। 2 मैं 'अक़्लमंदी से कामिल राह पर चलूँगा,तू मेरे पास कब आएगा?घर में मेरा चाल चलन सच्चे दिल से होगा। 3 मैं किसी ख़बासत को मद्द — ए — नज़र नहीं रखूँगा;मुझे कज रफ़तारों के काम से नफ़रत है;उसको मुझ से कुछ मतलब न होगा। 4 कजदिली मुझ से दूर हो जाएगी;मैं किसी बुराई से आशना न हूँगा। 5 जो दर पर्दा अपने पड़ोसी की बुराई करे,मैं उसे हलाक कर डालूँगा;मैं बुलन्द नज़र और मग़रूर दिल की बर्दाश्त न करूँगा। 6 मुल्क के ईमानदारों पर मेरी निगाह होगी ताकि वह मेरे साथ रहें;जो कामिल राह पर चलता है वही मेरी ख़िदमत करेगा। 7 दग़ाबाज़ मेरे घर में रहने न पाएगा;दरोग़ गो को मेरे सामने क़याम न होगा। 8 मैं हर सुबह मुल्क के सब शरीरों को हलाक किया करूँगा,ताकि ख़ुदावन्द के शहर से बदकारों को काट डालूँ।