Job 25 (IRVH)
1 तब शूही बिल्दद ने कहा, 2 “प्रभुता करना और डराना यह उसी का काम हैवह अपने ऊँचे-ऊँचे स्थानों में शान्ति रखता है। 3 क्या उसकी सेनाओं की गिनती हो सकती?और कौन है जिस पर उसका प्रकाश नहीं पड़ता? 4 फिर मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी कैसे ठहर सकता है?और जो स्त्री से उत्पन्न हुआ है वह कैसे निर्मल हो सकता है? 5 देख, उसकी दृष्टि में चन्द्रमा भी अंधेरा ठहरता,और तारे भी निर्मल नहीं ठहरते। 6 फिर मनुष्य की क्या गिनती जो कीड़ा है,और आदमी कहाँ रहा जो केंचुआ है!”