Psalms 11 (IRVH)
undefined प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन 1 मैं यहोवा में शरण लेता हूँ;तुम क्यों मेरे प्राण से कहते हो“पक्षी के समान अपने पहाड़ पर उड़ जा 2 क्योंकि देखो, दुष्ट अपना धनुष चढ़ाते हैं,और अपने तीर धनुष की डोरी पर रखते हैं,कि सीधे मनवालों पर अंधियारे में तीर चलाएँ। 3 यदि नींवें ढा दी जाएँतो धर्मी क्या कर सकता है? 4 यहोवा अपने पवित्र भवन में है;यहोवा का सिंहासन स्वर्ग में है;उसकी आँखें मनुष्य की सन्तान को नित देखती रहती हैंऔर उसकी पलकें उनको जाँचती हैं। 5 यहोवा धर्मी और दुष्ट दोनों को परखता है,परन्तु जो उपद्रव से प्रीति रखते हैंउनसे वह घृणा करता है। 6 वह दुष्टों पर आग और गन्धक बरसाएगा;और प्रचण्ड लूह उनके कटोरों में बाँट दी जाएँगी। 7 क्योंकि यहोवा धर्मी है,वह धार्मिकता के ही कामों से प्रसन्न रहता है;धर्मी जन उसका दर्शन पाएँगे।